महाभारत का युद्ध चल रहा था। कितने सुर वीरों की बलि दी जा चुकी थी। युद्ध का अंत करीब था। भीम और दुर्योधन के बीच मल्लयुद्ध चल रहा था। दुर्योधन को गांधारी के आशिर्वाद से पुरा शरीर वज्र का हो गया बस जंघा को छोड़कर। जिससे भीम कितना प्रहार करते दुर्योधन को कुछ नहीं होता।
कृष्ण ने भीम को कहा"भीम भैया दुर्योधन के जंघा पर वार कीजिए" उसकी हार निश्चित होगी।तब दुर्योधन कहता है, कृष्ण ये वार युद्धनीति के खिलाफ है। यह वार नैतिकता के खिलाफ होगी।
कृष्ण तब कहते हैं उस समय तुम्हारी नैतिकता कहां थी जब तुम और तुम्हारे सुरवीर साथी मिलकर एक 16 साल के बच्चे अभिमन्यु पर एक साथ 8-8 ने मिलकर शस्त्र से वार किया। उस समय तुम्हारी नैतिकता कहां गयी थी जब पांडवों के 5 पुत्रों को जो सोये हुए थे।तुम्हारे आदेश पर एक साथ मार दिया गया। तब कहा गया तुम्हारा युद्ध नियम,कहां गयी तुम्हारी नैतिकता।
इसलिए हे नैतिकता के रथ पर सवार अनैतिक मनुष्य तुम्हारे मुंह से नैतिकता की बात शोभा नहीं देती है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि क्षमा भी उसी को कीजिए जो क्षमा के लायक है।
भीम भैया गदा चलाओ आज इसका अंत होना है, भीम ने दुर्योधन के जंघा पर वार किया और मारा गया
0 Comments