गुप्त नवरात्रि जो विशेष पुजा के लिए किया जाता है, यह साल में दो बार होता है। गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से अघोरी या जादू टोना, सिद्ध चाहने वाले करते हैं। इसमें दस महाविद्याओं की तांत्रिक रूप से पुजा करते हैं। एक गुप्त नवरात्रि माघ महीने में होती है और दूसरी आषाढ़ महीने में, इस समय बहुत जगह शक्तिपीठों में बहुत भीड़ रहती है क्योंकि वहां विशेष पुजा चल रही होती है।
गुप्त नवरात्रि 2024 कब से शुरू हो रहा.…..
गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होगा। 6 जुलाई 2024 शनिवार को गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ हो रहा है, कलश स्थापना शनिवार सुबह 05.12 से 10.25 और फिर 11.10 से 12.54 बजे तक कलश स्थापना का मुहूर्त है।
नवरात्रि में जैसे माता के नौ रूप की पूजा की जाती है, गुप्त नवरात्रि में माता के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है - मां काली, मां तारा, षोडषी, मां भूवनेश्वरी, भैरवी माता, मां छिन्नमस्तिका, धूमावती माता, बंगलामुखी माता, मातंगी माता और कमला देवी की पूजा करते हैं।
माता की सवारी किस पर आ रही है -
माता की सवारी घोड़े पर आ रही है, इसका मतलब शुभ होता है। बारिश होगा, प्राकृतिक आपदा भी हो सकती कहीं कहीं... राजनीतिक उथल-पुथल, मिला जूला असर पड़ता है।
गुप्त नवरात्रि पर पूजन विधि -
गुप्त नवरात्रि में दुर्गा चालीसा पाठ या दुर्गा सप्तशती पाठ करें। साधक तंत्र मंत्र सिद्ध करने के लिए अलग पूजा करते हैं उसके लिए शक्ति पीठ जहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा होती है वहां जाकर वहां के जानकार से मिल सकते हैं। माता को लाल फूल चढ़ाएं। लौंग और बताशे का भोग लगाएं, माता को दूब, अकान, मंदार, तुलसी आदि बिल्कुल नहीं चढ़ाना चाहिए। सुबह शाम धूप दीप जलाएं, माता को श्रृंगार का सामन, सिंदुर, फूल माला चढ़ाएं, कपूर लौंग से आरती करें।
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करें, जिसमें आम का पत्ता, नारियल जटा वाला लाल कपड़ा में लपेट कर,कलश में गंगा जल भर कर रखें, कलश के नीचे मिट्टी जौं मिलाकर कर रखें। फिर गणेश जी की पूजा करें, सभी देवी देवता का आवाहन कर तब मां दुर्गा के फोटो पर माला, फूल, फल, नैवेद्य, द्रव्य, अक्षत, सिंदुर, पान, ताम्बुल आदि चढ़ाएं फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या दुर्गा चालीसा पाठ करें। कन्या भोजन कराएं, दान करें....
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