AES - एक्युट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम इसका पुरा नाम हुआ। इसको चमकी बुखार भी कहा जाता है। यह मुजफ्फरपुर में पिछले 24-25 सालों से है जो हर साल ना जाने कितने मांओ की गोद सूनी कर जाता है। इसका पक्का इलाज तो अभी तक ना मिला है लेकिन इसके कुछ symptoms देख के दवा सही समय पर मिल जाता तो बच्चे ठीक भी हो जाते हैं।
यह एक साल से 15 साल के बच्चे को अपने चपेट में लेता है। एईएस में एकाएक खून में सुगर और सोडियम बहुत low हो जाता है। यह बिमारी शरीर के मुख्य तंत्रिका तंत्र को ही प्रभावित करती है जिससे लो ब्लड प्रेशर, डिहाइड्रेशन, भूख मर जाना, लकवा, मिर्गी आदि लक्षण देखने को मिलता है।
कुछ लोग इस बिमारी को लीची से जोड़ते हैं जबकि लीची का इसमें कोई रोल नहीं है। सरकार को अभी से इसकी तैयारी में लगना होगा, कोरोनावायरस से बच भी गए तो कहीं एईएस ना हमले के लिए तैयार बैठा हो और जान लेने लगे। इससे बचने के लिए सरकार और जनता दोनों को सजग रहना होगा।
बच्चों में थोड़े भी कुछ लक्षण दिखे वो बिमार दिखे या सुस्त दिखे तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाएं। बच्चे को खुब पानी पिलाएं। पुरे शरीर को ठंडे पानी से पोछते रहे। दिन में दो बार नहाएं। बच्चे को खुला में रखें, हवादार जगह पर। ओआर एस, नींबू चीनी, नमक का घोल, तरबुज, खरबूज, खीरा, खिलाएं।
पिलाएं, धूप में बिल्कुल ना जाने दें। रात में उन्हें भर पेट भोजन मिले ये सरकार को देखना होगा। आंगनबाड़ी केंद्र आदि जगहों पर सरकार बच्चो के खाने की पुरी व्यवस्था करें। बच्चों का समुचित इलाज और समय पर डाॅक्टर उपलब्ध हो ऐसी व्यवस्था करें।
AES के लक्षण....
* सबसे पहले बच्चों को तेज बुखार आता है।
* बुखार के कारण बेहोश हो जाना
* दौरे पड़ना, शरीर ऐंठना, जबड़े और दांत कड़े होना जैसे दांती लगने पर होता है।
* खून में सुगर और सोडियम की कमी हो जाती है।
* शरीर का तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता
* तेज बुखार के कारण कोमा होता या फिर मौत
1 Comments
हेलो सर
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