फाइलेरिया के बारे में आप लोग सुने ही होंगे। इसका एक नाम फीलपांव भी है, या हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं। फाइलेरिया में हाथ या पैर फूल जाता है। पैर हाथ जैसे हो जाते हैं, इसलिए हाथीपांव कहा जाता है। कभी कभी सूजन तो नहीं होता है लेकिन बहुत तेज बुखार, दर्द होने लगता है। आज हम आपको फाइलेरिया के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। हम इस पोस्ट में फाइलेरिया के कारण, लक्षण और उपाय जानेंगे। सबसे पहले
* अदरक भी फायदेमंद साबित है फाइलेरिया में।
* खाने में रोजाना लहसुन का इस्तेमाल करें।
* फाइलेरिया के इलाज में बैंगन, करेला, मूली, परवल, पालक लाभकारी होता है।
बिमारी ज्यादा बढ़ जाता है तो डाॅ से दिखाएं। फीलपांव गंभीर बिमारी है सही से इलाज नहीं होने पर हमेशा के लिए विकलांग भी हो सकते हैं।
फाइलेरिया के कारण.....
फाइलेरिया मुख्य तौर पर एक परजीवी रोग है। यह एक मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया बिमारी संक्रमित मादा क्यूलेक्स के काटने से फैलता है। यह ज्यादातर गर्म जगहों पर होता है इसलिए भारत में भी यह बिमारी बहुतायत मात्रा में होती है। एक मच्छर की प्रजाति है जिसका नाम फाईलेरिओडी है जो दिखने में एक धागे के सामान होता है।
उसके काटने से यह बिमारी फैलता है। यह मच्छर साफ पानी में पनपता है, जब यह मच्छर काटता है तो लसिका काम करना बंद कर देता है। जिस कारण फाइलेरिया होता है।जब किसी को क्यूलेक्स मच्छर काटता है तो उसके अंदर वह कृमि छोड़ देता है जो बाद में बड़े होकर नर और मादा में बदल जाता है और यह लसिका नलियों में फ़ैल कर उसे बंद कर देता है। संक्रमण के बाद यह हमारे शरीर में 7 सालों तक जिंदा रह सकता है। यह हमारे खून में दौड़ता रहता है।
मतलब जब किसी फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को यह मच्छर काटता है तो वह भी संक्रमण का शिकार हो जाता और जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह भी फाइलेरिया से ग्रसित हो जाता है।
मतलब जब किसी फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को यह मच्छर काटता है तो वह भी संक्रमण का शिकार हो जाता और जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह भी फाइलेरिया से ग्रसित हो जाता है।
फाइलेरिया के लक्षण...
फाइलेरिया के अभी तक तो कुछ खास लक्षण नहीं आया है। शुरुआत में तो पता नहीं चलता हां खून जांच में पता चल सकता है। जैसे एकाएक अत्यधिक बुखार रहना, बदन में खूजली, पुरुषों के अंडकोष में सूजन, दर्द रहना। हाथ पैर या अंडकोष में सूजन, जांघों के बीच गिल्टी, स्तन या गले में सूजन। संक्रमण तो बचपन में ही हो जाता लक्षण बस बड़ा होने पर धीरे-धीरे आता।
फाइलेरिया के उपाय....
* लौंग परजीवी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए लौंग का इस्तेमाल जरूर करें। इसकी चाय दिन में दो बार लें।* अदरक भी फायदेमंद साबित है फाइलेरिया में।
* खाने में रोजाना लहसुन का इस्तेमाल करें।
* फाइलेरिया के इलाज में बैंगन, करेला, मूली, परवल, पालक लाभकारी होता है।
बिमारी ज्यादा बढ़ जाता है तो डाॅ से दिखाएं। फीलपांव गंभीर बिमारी है सही से इलाज नहीं होने पर हमेशा के लिए विकलांग भी हो सकते हैं।
1 Comments
Sar hume bahut problem hai, faleriya se koi Anushka 🙏plzz sher kare sar
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