27 नवंबर 2019 का दिन हमारे इतिहास के पन्नों में याद किया जाएगा। जब हमारे देश के वैज्ञानिक ने कार्टोसैट 3 का सफल प्रक्षेपण किया। कल यानी बुधवार को श्रीहरिकोटा बैंगलुरू से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से कार्टोसैट 3 और अमेरिका के 13 नैनो उपग्रह ले जा रहे पीएसएलवी-सी47 का सफल प्रक्षेपण किया।
यह उपग्रह देश की सुरक्षा और विकास के लिए बहुत अहम साबित होगा। इस उपग्रह से भारतीय सेना अपने बोर्डर पर हो रही सभी गतिविधियों पर बारिकी से नजर रखेगी। इसके कैमरे का लेंस बहुत ताकतवर है, ये धरती पर से 9.84 इंच की ऊंचाई तक की स्पष्ट फोटो ले सकता है। मतलब अगर हाथ में घड़ी बंधी है उसका डेट, सेकेंड, मिनट सब बता सकता है।
यह Cartosat-3 अपनी सीरिज का नौवां सेटेलाइट है। इतना ताकतवर इसका कैमरा है कि शायद इतनी सटीकता वाला सेटैलाइट अभी तक किसी देश ने लांच नहीं किया हो। अमेरिका के एक निजी स्पेश कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआइ 1 उपग्रह धरती से 16.14 इंच तक की ऊंचाई का फीटो लें सकता है।
यह पाकिस्तान की हर गतिविधि पर नजर रखने में मदद करेगा। प्राकृतिक आपदाओं में भी मददगार साबित होगा। Cartosat-3 का वजन लगभग 1625 किलो है। यह थर्ड जेनरेशन एडवांस हाई रेजोल्यूशन वाला अर्थ इमेजिंग सेटैलाइट है। इसका जीवनकाल 5 साल का होगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कार्टोसैट-3 की लांचिंग पर बधाई दी- मैं इसरो की टीम के एक और बड़े मिशन की सफल लांचिंग पर बधाई देता हूं। इसरो ने एकबार फिर देश को गौरवान्वित किया है।
इसरो जिसकी स्थापना 1969 में डाॅ विक्रम साराभाई के द्वारा स्वतंत्रता दिवस के दिन किया गया था। विक्रम साराभाई को स्पेश प्रोग्राम का जनक कहा जाता है। इसरो में 17000 वैज्ञानिक काम करते हैं। कुछ वैज्ञानिक तो आजीवन यहीं गुजार दिया, शादी नहीं किए यही शोध करते रहे।
यह उपग्रह देश की सुरक्षा और विकास के लिए बहुत अहम साबित होगा। इस उपग्रह से भारतीय सेना अपने बोर्डर पर हो रही सभी गतिविधियों पर बारिकी से नजर रखेगी। इसके कैमरे का लेंस बहुत ताकतवर है, ये धरती पर से 9.84 इंच की ऊंचाई तक की स्पष्ट फोटो ले सकता है। मतलब अगर हाथ में घड़ी बंधी है उसका डेट, सेकेंड, मिनट सब बता सकता है।
यह Cartosat-3 अपनी सीरिज का नौवां सेटेलाइट है। इतना ताकतवर इसका कैमरा है कि शायद इतनी सटीकता वाला सेटैलाइट अभी तक किसी देश ने लांच नहीं किया हो। अमेरिका के एक निजी स्पेश कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआइ 1 उपग्रह धरती से 16.14 इंच तक की ऊंचाई का फीटो लें सकता है।
यह पाकिस्तान की हर गतिविधि पर नजर रखने में मदद करेगा। प्राकृतिक आपदाओं में भी मददगार साबित होगा। Cartosat-3 का वजन लगभग 1625 किलो है। यह थर्ड जेनरेशन एडवांस हाई रेजोल्यूशन वाला अर्थ इमेजिंग सेटैलाइट है। इसका जीवनकाल 5 साल का होगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कार्टोसैट-3 की लांचिंग पर बधाई दी- मैं इसरो की टीम के एक और बड़े मिशन की सफल लांचिंग पर बधाई देता हूं। इसरो ने एकबार फिर देश को गौरवान्वित किया है।
इसरो जिसकी स्थापना 1969 में डाॅ विक्रम साराभाई के द्वारा स्वतंत्रता दिवस के दिन किया गया था। विक्रम साराभाई को स्पेश प्रोग्राम का जनक कहा जाता है। इसरो में 17000 वैज्ञानिक काम करते हैं। कुछ वैज्ञानिक तो आजीवन यहीं गुजार दिया, शादी नहीं किए यही शोध करते रहे।
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