आपातकाल के 44 साल पुरे हुए

      आज 25 जून है, आज के दिन ही 44 साल पहले पुरे देश में श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल का मतलब  जब देश में आंतरिक अशांति का खतरा हो, बाहरी आक्रमण की आशंका या वित्तीय संकट की हालत में आपातकाल घोषणा होती है। 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा हुई थी और 21 मार्च 1977 को खत्म हुई। अभी के युवा तो इसके बारे में शायद जानते भी नहीं हो, आइए जानें कुछ बातें आपातकाल की....


     21 महीनों तक जबरदस्ती‌ देशवासियों पर आपातकाल थोपा गया। लोगों के सारे अधिकार छीन लिए। अखबार पर सेंसर सीप लगा दिया गया। हर अखबार के आफिस में सेंसर ऑफिसर बैठा दिए गए। उनकी अनुमति के बगैर कोई न्युज ना छप सकता। सरकार के खिलाफ कुछ नहीं लिख सकते ना तब तुरंत गिरफ्तारी हो जाती।

    आपातकाल में गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश होने और जमानत का भी अधिकार नहीं था।

     बहुत सारे नेताओं को जेल में डाल दिया गया। जिनमें लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेई, जयप्रकाश नारायण,जार्ज फर्नांडिस जैसे बड़े नेता शामिल थे। जबड़न पकड़ पकड़ के नसबंदी कराया जाने लगा। फखरुद्दीन अली अहमद उस समय राष्ट्रपति थे और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर पुरे देश में धारा 352 मतलब आपातकाल लगा दिया।

     आपातकाल की कहानी 1971 से शुरू हुई थी, जिसमें इंदिरा गांधी रायबरेली से खड़ी हुई थी और उनके खिलाफ राजनारायण सिंह थे। इंदिरा गांधी इसमें बहुत बड़े मार्जिन से जीती थी। लेकिन राजनारायण सिंह चुनाव के 4 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। 12 जून 1975 को हाईकोर्ट के न्यायधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर राजनारायण सिंह को विजयी घोषित किया।

     इंदिरा गांधी को 6 साल के लिए बैन कर दिया गया। राजनारायण सिंह के अनुसार इंदिरा गांधी ने सरकारी मशीनरी का गलत उपयोग किया। पैसा तय सीमा से कहीं ज्यादा खर्च किए। हाईकोर्ट ने इन सब बातों को मान लिया।‌ लेकिन इंदिरा गांधी इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं थी।

     कांग्रेस पार्टी में उनका रहना लोगों ने गलत माना। इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात कह 25 जून आधी रात को रेडियो में आपातकाल की घोषणा करवा दी।


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