कल हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने राजस्थान के एक शहर कोटे के सांसद का नाम लोकसभा स्पीकर के लिए नामित किया। सबसे पहले इस नाम का समर्थन राजनाथ सिंह, फिर अमित शाह धीरे-धीरे कर पुरी लोकसभा सदस्य उनको निर्विरोध अध्यक्ष घोषित कर दिए गए।
उस सख्स का व्यक्तिव कैसा होगा जिसके सपोर्ट में पक्ष-विपक्ष दोनों आ गए। आइए उनके बारे में पहले हमारे प्रधानमंत्री जी की राय जानें।पीएम उनके लिए कहते हैं कि.....
" ओम विरला बहुत सरल और विनम्र हैं, हमेशा उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है मुझे डर लगता है कि विवेक और नम्रता का कोई ग़लत उपयोग ना करें"
ओम विरला....
ओम विरला कोटा से दुसरी बार सांसद बने हैं। इस बार उन्होंने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2.5 लाख वोटों से मात दी। इससे उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे पहले वो 12वीं, 13वींं और 14वीं राजस्थान विधानसभा सदस्य भी रह चुके हैं।
उनका जन्म 4 दिसंबर 1962 को कोटा राजस्थान में हुआ।इनके पिता का नाम श्रीकृष्ण विरला, माता का नाम स्वर्गीय श्रीमती शकुंतला विरला है। पत्नी का नाम डाॅ अमिता विरला।दो बेटे और दो बेटियां हैं इनके परिवार में।
ओम विरला का राजनीतिक सफर की शुरुआत 1978 से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गुमानपुरा कोटा से हुई। वहां वो छात्रसंघ के अध्यक्ष थे। फिर भाजपा से जुड़े वहां भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष फिर 6 साल प्रदेशाध्यक्ष रहे। ये युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
5 बार चुनाव लड़े, पांचों बार जीत हासिल की। 3 बार विधानसभा चुनाव दो बार लोकसभा चुनाव। 2003-08 में विधानसभा संसदीय सचिव रहते हुए उन्होंने गरीब, असहाय, गंभीर रोगियों को 50 लाख की सहायता करवाई थी। जिस कारण इन्हें काफी सराहना मिली। अगस्त 2004 में बाढ़ पीड़ितों के लिए काम किया।
2006 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने आजादी के स्वर नामक कार्यक्रम में 15000 से अधिक अधिकारीयों को सम्मानित किया।
हम सब भी इनको 17वीं लोकसभा अध्यक्ष बनने की बधाई देते हैं।
उस सख्स का व्यक्तिव कैसा होगा जिसके सपोर्ट में पक्ष-विपक्ष दोनों आ गए। आइए उनके बारे में पहले हमारे प्रधानमंत्री जी की राय जानें।पीएम उनके लिए कहते हैं कि.....
" ओम विरला बहुत सरल और विनम्र हैं, हमेशा उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है मुझे डर लगता है कि विवेक और नम्रता का कोई ग़लत उपयोग ना करें"
ओम विरला....
ओम विरला कोटा से दुसरी बार सांसद बने हैं। इस बार उन्होंने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2.5 लाख वोटों से मात दी। इससे उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे पहले वो 12वीं, 13वींं और 14वीं राजस्थान विधानसभा सदस्य भी रह चुके हैं।
उनका जन्म 4 दिसंबर 1962 को कोटा राजस्थान में हुआ।इनके पिता का नाम श्रीकृष्ण विरला, माता का नाम स्वर्गीय श्रीमती शकुंतला विरला है। पत्नी का नाम डाॅ अमिता विरला।दो बेटे और दो बेटियां हैं इनके परिवार में।
ओम विरला का राजनीतिक सफर की शुरुआत 1978 से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गुमानपुरा कोटा से हुई। वहां वो छात्रसंघ के अध्यक्ष थे। फिर भाजपा से जुड़े वहां भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष फिर 6 साल प्रदेशाध्यक्ष रहे। ये युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
5 बार चुनाव लड़े, पांचों बार जीत हासिल की। 3 बार विधानसभा चुनाव दो बार लोकसभा चुनाव। 2003-08 में विधानसभा संसदीय सचिव रहते हुए उन्होंने गरीब, असहाय, गंभीर रोगियों को 50 लाख की सहायता करवाई थी। जिस कारण इन्हें काफी सराहना मिली। अगस्त 2004 में बाढ़ पीड़ितों के लिए काम किया।
2006 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने आजादी के स्वर नामक कार्यक्रम में 15000 से अधिक अधिकारीयों को सम्मानित किया।
हम सब भी इनको 17वीं लोकसभा अध्यक्ष बनने की बधाई देते हैं।
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