आज गंगा दशहरा था। माना जाता है कि मां गंगा आज के दिन ही धरती पर आई थी। कल यानी 13 जून को निर्जला एकादशी व्रत है। साल में 24 एकादशी होती है जिसमें कुछ एकादशी का विशेष महत्व है।यह ज्येष्ट मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी को कहते हैं। इसे भीम एकादशी भी कहते हैं। इसमें पुरा दिन बिना पानी के व्रत करते हैं।
माना जाता है कि एक ये निर्जला एकादशी करने से साल के 24 एकादशी का फल मिलता है। इसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एक बार महर्षि वेदव्यास पांडवों को एकादशी व्रत करने का संकल्प करा रहे थे। भीम ने पुछा कि आप एक महीने में दो बार ये व्रत करने कह रहे हैं,मैं तो आधा पहर भी बिना खाने के नहीं रह सकता।
तब तो मैं इसका पुण्य प्राप्त नहीं कर सकता। तब महर्षि वेदव्यास ने कहा कि पुरे साल की एकादशी का व्रत एक इस दिन व्रत करने से फल मिलेगा। एक दिन निर्जला एकादशी व्रत करने से पुरे साल के एकादशी का फल मिलेगा। भीम तुम ये व्रत करो। भीम तैयार हो गए, तब से इसको भीम एकादशी व्रत भी कहते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा सुबह-शाम करनी चाहिए। अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मण को भोजन करा कर फिर खुद खाना चाहिए। एकादशी के दिन तुलसी और बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़ लें या नीचे गिरी पत्तो को धोकर चढ़ाएं।
इस दिन विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र या "ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का पाठ करें। किसी नदी या तालाब या गंगा स्नान करें। मंदिर में दर्शन करें।
माना जाता है कि एक ये निर्जला एकादशी करने से साल के 24 एकादशी का फल मिलता है। इसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एक बार महर्षि वेदव्यास पांडवों को एकादशी व्रत करने का संकल्प करा रहे थे। भीम ने पुछा कि आप एक महीने में दो बार ये व्रत करने कह रहे हैं,मैं तो आधा पहर भी बिना खाने के नहीं रह सकता।
तब तो मैं इसका पुण्य प्राप्त नहीं कर सकता। तब महर्षि वेदव्यास ने कहा कि पुरे साल की एकादशी का व्रत एक इस दिन व्रत करने से फल मिलेगा। एक दिन निर्जला एकादशी व्रत करने से पुरे साल के एकादशी का फल मिलेगा। भीम तुम ये व्रत करो। भीम तैयार हो गए, तब से इसको भीम एकादशी व्रत भी कहते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा सुबह-शाम करनी चाहिए। अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मण को भोजन करा कर फिर खुद खाना चाहिए। एकादशी के दिन तुलसी और बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़ लें या नीचे गिरी पत्तो को धोकर चढ़ाएं।
इस दिन विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र या "ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः" का पाठ करें। किसी नदी या तालाब या गंगा स्नान करें। मंदिर में दर्शन करें।
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