बिहार में अभी बहुत ही भयावह स्थिति है। मुजफ्फरपुर जिले में रोज 10-12 बच्चे मर रहे। आंकड़ा तो 200-300 पार कर गया लेकिन सरकार 100 के आसपास दिखा रहा। ये आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। इस बीमारी का नाम AES अक्युट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम है। इसमें 1-14 साल के बच्चे आते हैं।
इस बिमारी में बहुत तेज बुखार आता है और शरीर ऐंठने लगता है। शरीर का तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। तेज बुखार के कारण मन भटकने लगता है, दौरे पड़ते हैं सही समय पर इलाज न मिलने से मौत हो जाती है।
इस बिमारी में डाॅक्टर भी असहाय महसूस करता है। इंसेफेलाइटिस के लिए मुजफ्फरपुर और गोरखपुर को डेंजर जोन में चुना गया टीके और सुरक्षा संसाधन पर गोरखपुर में बहुत हद तक बच्चों को मरने से बचा लिया गया। लेकिन बिहार में जस की तस स्थिति बनी हुई है।
1995 से ही ये बीमारी बच्चों को अपना शिकार बना रही है। हर साल यह मई जून महीने में कितने मासूम को अपना शिकार बना लेता है। कितनी मांओं की गोद सुनी हो जाती है। कुछ स्वास्थय विशेषज्ञ के रिपोर्ट के अनुसार इसमें एकाएक शरीर में चीनी की मात्रा कम हो जाती और नमक की भी जिस कारण ये मौत हो रही है।
कुछ रिपोर्ट के अनुसार इन सब मौत का कारण लीची है। बच्चे सुबह सुबह खाली पेट लीची का सेवन कर लेते जिस कारण उनके शरीर में केमिकल रिएक्शन होता और मौत हो जाती है। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि ये बच्चे जो हमारा भविष्य है इनको बचाने के उपाय करें। सिर्फ राजनीति कर एक दूसरे को इल्जाम लगाने से अच्छा है एक दूसरे के साथ ये खत्म किया जाए।
इस बिमारी में बहुत तेज बुखार आता है और शरीर ऐंठने लगता है। शरीर का तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। तेज बुखार के कारण मन भटकने लगता है, दौरे पड़ते हैं सही समय पर इलाज न मिलने से मौत हो जाती है।
इस बिमारी में डाॅक्टर भी असहाय महसूस करता है। इंसेफेलाइटिस के लिए मुजफ्फरपुर और गोरखपुर को डेंजर जोन में चुना गया टीके और सुरक्षा संसाधन पर गोरखपुर में बहुत हद तक बच्चों को मरने से बचा लिया गया। लेकिन बिहार में जस की तस स्थिति बनी हुई है।
1995 से ही ये बीमारी बच्चों को अपना शिकार बना रही है। हर साल यह मई जून महीने में कितने मासूम को अपना शिकार बना लेता है। कितनी मांओं की गोद सुनी हो जाती है। कुछ स्वास्थय विशेषज्ञ के रिपोर्ट के अनुसार इसमें एकाएक शरीर में चीनी की मात्रा कम हो जाती और नमक की भी जिस कारण ये मौत हो रही है।
कुछ रिपोर्ट के अनुसार इन सब मौत का कारण लीची है। बच्चे सुबह सुबह खाली पेट लीची का सेवन कर लेते जिस कारण उनके शरीर में केमिकल रिएक्शन होता और मौत हो जाती है। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि ये बच्चे जो हमारा भविष्य है इनको बचाने के उपाय करें। सिर्फ राजनीति कर एक दूसरे को इल्जाम लगाने से अच्छा है एक दूसरे के साथ ये खत्म किया जाए।
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